K.C. Sinha Class 10th Mathematics Book | Student's Friends Class 10th Book

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1.1. भूमिका (प्रस्तावना) (Introduction) :
   कक्षा IX में हमने वास्तविक संख्याओं के बारे में पढ़ा है कि ये परिमेय (Rational) और अपरिमेय (Irrational), दो प्रकार की होती हैं। यहाँ हम धनात्मक पूर्णाकों (प्राकृतिक संख्याओं) के दो अति महत्त्वपूर्ण गुणों का अध्ययन करेंगे। ये गुण हैं-   

यूक्लिड-विभाजन-एल्गोरिथ्म (Euclid's division algorithm) और अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic) |
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के अनुसार प्रत्येक धनात्मक पूर्णाक (प्राकृतिक संख्या) a को किसी अन्य (another) धनात्मक पूर्णाक b से इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है कि शेषफल (Remainder) r प्राप्त हो, जहाँ 0≤r<b ।
इस कथन से स्पष्ट है कि यूक्लिड विभाजन ऐल्गोरिथ्म का सम्बन्ध पूर्णाकों की विभाज्यता से है।
वास्तव में पूर्णाकों की विभाज्यता से सम्बन्धित यूक्लिड विभाज्यता एल्गोरिथ्म के अनेक महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग (Application) हैं।

उदाहरण (जैसे) :
(i) 25 को जब 8 से विभाजित किया जाता है तो भागफल 3 तथा शेष 1 प्राप्त होता है ।
इसे हम इस प्रकार लिख सकते हैं 25 = 8 x 3 + 1
     यहाँ, a = 25, b = 8, q= 3, r = 1
स्पष्ट है कि a=bq+r, जहाँ 0≤r< 8
(ii) 9 को जब 23 से विभाजित किया जाता है तो भागफल 0 तथा शेष 9 प्राप्त होता है।
इसे हम इस प्रकार लिख सकते हैं 9 = 23 X 0 +9 यहाँ a = 9, b = 23, q= 0, r=9

स्पष्ट है कि a = bq +, जहाँ 0 << 23 यहाँ हम इसके कुछ ऐसे गुणों की विवेचना (चर्चा) करेंगे जो दो धनात्मक पूर्णाकों के महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) परिकलित करने में उपयोगी हैं ।

अंकगणित की आधारभुत प्रमेय (The fundamental Theorem of Arithmetic) : अंकगणित की आधारभूत प्रमेय धनात्मक पूर्णाकों के गुणन से सम्बन्धित है। इसका कथन है कि प्रत्येक भाज्य संख्या (Composite Number) को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में अद्वितीय रूप में व्यक्त (गुणन-खण्डित) किया जा सकता है।
अंकगणित की आधारभूत प्रमेय के अति महत्त्वपूर्ण उपयोगी बहुत अनुप्रयोग हैं। इन अनुप्रयोगों में से कुछ संख्याओं जैसे √2, √3, √5.√7 आदि की अपरिमेयता (Irrationality) प्रमाणित करने में और यह जानने में
कि p/q, (q#0) के रूप के परिमेय संख्या का दशमलव रूप (Decimal Form) सांत (Terminating) या असांत आवर्ती (Non-terminating Recurring) है। यहाँ हम देखेंगे कि परिमेय संख्या का अभाज्य । गुणनखण्डों में गुणनखण्डन, हमें परिमेय संख्या P के दशमलव रूप की प्रकृति बतायेगी कि यह सांत या असांत (आवर्ती) में से कैसा है।

प्रमेयिका (Lemma) : प्रमेयिका एक कथन है जिसका उपयोग अन्य कथन को सिद्ध करने में किया जाता है।

1.2. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका (Euclid's Division Lemma) :
a और b दो धनात्मक पूर्णाक दिए रहने पर, ऐसी अद्वितीय अऋणात्मक पूर्णांक (पूर्ण संख्याएँ) | और । विद्यमान हैं कि a = bq +r, जहाँ 0≤r<b है।
युक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म इसी प्रमेयिका पर आधारित है और दो दत्त धनात्मक संख्याओं के म०स० (H.C.F) ज्ञात करने की एक तकनीक (Technique) है। | हम जानते हैं कि दो धनात्मक संख्याओं a और B का म०स० (H.C.F) वह महत्तम धनात्मक पूर्ण संख्या हे जिससे a और b दोनों विभाज्य है। अब हम एक उदाहरण द्वारा यह दर्शाते हैं कि यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के अनुप्रयोग से दो धनात्मक संख्याओं के म०स० किस प्रकार ज्ञात किया जा सकता है।

माना कि हमें 480 और 75 का म०स० (H.C.F) ज्ञात करना है। यहाँ a = 480, b = 75 (a > b) यूक्लिड प्रमेयिका से, q=bq+r, 0≤r<b या,
480 = 75 x 6 + 30 अब हम धनात्मक संख्या 75 (भाजक) और 30 (शेष) पर विचार करते हैं। विभाजन प्रमेयिका से, 75 = 30 x 2 + 15 पुनः हम भाजक 30 और शेष 15 पर विचार करते हैं। विभाजन प्रमेयिका से, हम पाते हैं कि 30 = 15x2 + 0

अब शेष 0 है और इसलिए हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। अतः, हम यहाँ रुक जाते हैं। हम 480 और 75 को अभाज्य गुणनखण्डों में गुणनखण्ड करने पर देखते हैं कि 480 और 75 का H.C.F. भाजक 15 है।

1.3. यक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म (Euclid's Division Algorithm) :
एलगोरिथ्म (Algorithm) : यह सुपरिभाषित चरणों की एक श्रृंखला होती है, जो एक विशेष प्रकार की समस्या को हल करने की विधि या प्रक्रिया प्रदान करती है।

यह शब्द एल्गोरिथ्म एक फारसी गणितज्ञ अल-ख्वारिज्मी के नाम से लिया गया है। | दो धनात्मक संख्याओं a और b (4> b) के म०स० (H.C.) ज्ञात करने के लिए निम्नांकित चरणों (Steps) की आवश्यकता होती है-
 चरण-1. a और b के लिए यूक्लिड-विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग कीजिये । इसके लिये हम पूर्ण संख्याओं (अऋणात्मक पूर्णाकों ) q और r को लेते हैं जो a= bq +r, 0≤r<b को संतुष्ट (Satisfy) करता है।

चरण -2. यदि r =0; भाजक b ही a और b का H.C.F. है। किन्तु यदि r#0 तब यूक्लिड-विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग , भाजक b ओर शेष r के साथ करें ।।

माना कि b = cr+n
चरण-3. यदि n= 0, तो a और b का H.C.F (म०स०) c है। अन्यथा भाजक c और शेष n पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करें। इस प्रकार विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग तब तक करते रहे जब तक कि शेष शून्य न हो जाय ।

जब शेष शून्य हो, तब भाजक d, a और b का अभीष्ट म०स० (H.C.F.) होगा ।।

नोट : स्मरणीय तथ्य |
1. a और b के म०स० (H.C.F) को संकेत H.C.F (a, b) से व्यक्त करते हैं।
2. यदि a = bq +r, 0≤r<b तब H.C.F (a, b) = H.C.F (b, r). 3. प्रत्येक पूर्णांक संख्या m के लिए H.C.F (m, O) = m.
4. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका, विभाजन एल्गोरिथ्म से भिन्न है। विभाजन-एल्गोरिथ्म एक विधि (Procedure) है, जबकि विभाजन प्रमेयिका किसी दी हुई धनात्मक पूर्णाक का दूसरे धनात्मक पूर्णांक से विभाज्यता के बारे में एक कथन है।।
5. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका एल्गोरिथ्म सिर्फ धनात्मक पूर्णांक संख्याओं के लिए परिभाषित है किन्तु इसका विस्तार b = 0 के अलावे (b = 0 को छोड़कर) अन्य सभी पूर्णांकों के लिए किया जा सकता है।

साधित उदाहरण (Solved Examples)
Type I. यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म के प्रयोग से दो धनात्मक पूर्णाकों के H.C.F. निकालने पर आधारित प्रश्न :

कार्यकारी नियम (Working Rule) :
1. यदि दो धनात्मक पूर्णाकों a और b (a> b) का म० स० (H.C.F) ज्ञात करना हो तो a को b से विभाजित करें जिससे भागफल q और शेष r प्राप्त हो ।
2. यदि r = 0, तब a और b का अभीष्ट H.C.F. b होगा ।
3. यदि r# 0, तब b को शेष r (जो चरण-1 में प्राप्त हुआ) से विभाजित करें और भाजक q और शेष n को प्राप्त करें। यदि n = 0, तब r अभीष्ट H.C.F होगा।
4. यदि n # 0, तब पहले की तरह प्रक्रिया (जारी रखें) दुहराते जाँय जब तक कि शेष 0 (शून्य) न हो जाये । इस स्थिति में भाजक ही a और b का H.C.F होगा ।
5. तीन पूर्णांक संख्याओं के H.C.F (म० स०) ज्ञात करने के लिए पहले दो पूर्णाक संख्याओं का H.C.F ज्ञात कर लें। तब तीसरी संख्या और प्राप्त H.C.F का H.C.F ज्ञात करें।

1)Ex. 1. यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग कर, 867 और 255 का H.C.F. ( म०स० ) ज्ञात करें। हल : मान लिया कि 4 = 867 और b = 255 (a > b)            [NCERT]

चरण-1 विभाजन प्रमेयिका 867 = 255 x 3 + 102
चुकी शेष 102 # 0,अत: हम भाजक 255 को शेष 102 से भाग देते हैं।
चरण-2. विभाजन प्रमेयिका से 255 = 102×2+51
चुकी शेष 51 # 0, अतः हम भाजक 102 को शेष 51 से भाग देते हैं।

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